ड्रग्स को लेकर खासे बदनाम हो चुके पंजाब में अब इसके रोकथाम को लेकर एक के बाद एक नए फैसले लिए जा रहे हैं, ड्रग्स के सप्लायर्स और तस्करों के लिए मौत की सजा की सिफारिश करने के बाद पंजाब सरकार ने अब राज्य में सीरिंज लेने के लिए डॉक्टरों की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है.
सरकारी आदेश के बाद अब पंजाब सीरिंज लेना हर किसी के लिए आसान नहीं होगा, इसके लिए बकायदा डॉक्टरों से अनुमति लेनी होगी. राज्य के सभी जिलों के जिला अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया गया है कि बिना डॉक्टर की अनुमति के सीरिंज नहीं दी जाए.
राज्य में नशे की रोकथाम के लिए सरकार बेहद सक्रिय हो गई है. 5 दिन पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ड्रग्स के सप्लायर्स और तस्करों के लिए मौत की सजा की सिफारिश केंद्र सरकार के पास भेजने का फैसला किया था. इसके 2 दिन बाद अमरिंदर सिंह सरकार ने इस दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए सभी सरकारी कर्मचारियों का डोप टेस्ट अनिवार्य कर दिया था.
नए फैसले के बाद डोप टेस्ट की इस प्रक्रिया से पुलिस को भी गुजरना होगा. डोप टेस्ट भर्ती के समय के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों के सेवाकाल के विभिन्न चरणों मसलन पदोन्नती के दौरान भी होगा.
राज्य में 3.5 लाख सरकारी कर्मचारी हैं, वहीं पंजाब पुलिस में कांस्टेबल और सब इंस्पेटर की भर्ती के दौरान डोप टेस्ट पहले से ही अनिवार्य है. पुलिस भर्ती में डोप टेस्ट ये पता लगाने के लिए होता है कि कहीं भर्ती होने वाला कर्मचारी- मॉर्फीन, एम्फेटामाइन, गांजा या किसी अन्य प्रतिबंधित नशीली दवाओं के सेवन का आदी तो नहीं है.
पंजाब में ड्रग्स एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है. आम आदमी पार्टी राज्य में नशे का मुद्दा जोर-शोर से उठाती रहती है. ‘आप’ इसको लेकर राज्य में प्रदर्शन भी करती रहती है. हाल ही में आप ने पंजाब सरकार पर नशा तस्करी और तस्करों की तरफ आंखें मूंदने का आरोप लगाया था.
सरकारी नौकरी के लिए होने वाली भर्तियों में डोप टेस्ट को अनिवार्य किए जाने के बाद आप विधायक अमन अरोड़ा ने मोहाली के सिविल हॉस्पिटल में अपना डोप टेस्ट कराया.