हरियाणा रोडवेज विभाग में बस चालकों की मुश्किलें बढ़ सकती है। विभाग की तरफ से रोडवेज बस चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस चैकिंग का अभियान रोडवेज बस डिपो पर चलाया गया है। इनमें अलग-अलग राज्यों से लिए गए ड्राइविंग लाइसेंसों का वेरिफिकेशन विभाग की तरफ से किया जा रहा है।
जींद रोडवेज डिपो में भी इस प्रकार की प्रक्रिया रोडवेज महाप्रबंधक आरएस पूनिया ने शुरु की है। यहां पर कार्यरत रोडवेज चालकों के लाइसेंस की वेरिफिकेशन का काम किया जा रहा है। बताते हैं कि रोडवेज विभाग में कार्यरत चालकों के अलग-अलग राज्यों से जारी किये गए लाइसेंस है जिनके लिए विभाग की तरफ से करीब 11 राज्यों से डाटा एकत्रित किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि रोडवेज विभाग में साल 2001 से पहले के लगे रोडवेज बस चालकों के भी लाइसेंस वेरिफिकेशन किये जा रहे हैं जिसमें अलग-अलग राज्यों के लिए गए लाइसेंसों का रिकॉर्ड खंगाला जाएगा ।
माना जा रहा है कि किसी प्रकार की अनियमितता या फर्जीवाड़े का खुलासा होता है तो उन चालकों की नौकरी भी जा सकती है। विभाग में इससे पहले ही निजीकरण को लेकर काफी रोष प्रदर्शन हो रहे हैं, ऐसे में लाइसेंस वेरिफिकेशन से भी उन चालकों की मुश्किलें बढ़ना तय है जिनके लाइसेंस किसी दूसरे राज्य से फर्जी तरीके से बनवाए गए हैं।
बताया जा रहा है कि हरियाणा के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब, उड़ीसा, मणिपुर, आसाम समेत कई राज्यों में टीमों को भेजा जाएगा जहां से इन लाइसेंसों का रिकॉर्ड वेरिफिकेशन किया जाएगा। इन लाइसेंसों के वेरिफिकेशन में किसी प्रकार की कोई कमी पाई जाती है तो लाइसेंस रद्द होने के साथ-साथ विभागीय कार्यवाही भी की जा सकती है।
विभागीय जांच के मुताबिक प्रदेश में साल 2001 से पहले नियुक्त होने वाले बस चालकों में से 103 चालकों के लाइसेंस वेरिफिकेशन होने हैं। इन में 60 लाइसेंस हरियाणा से बाहर के बने हुए हैं। जांच रिपोर्ट के मुताबिक पंद्रह ने दिल्ली से, 10 चालकों ने हिमाचल प्रदेश से, 9 चालकों ने उत्तरप्रदेश से, सात चालकों ने राजस्थान, चार-चार ने पंजाब और तेलंगाना से, तीन-तीन लाइसेंस उड़ीसा और आसाम, दो लाइसेंस मध्यप्रदेश, एक-एक ने मणिपुर और नागालैंड से बनवाए हुए हैं।