सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ जहां सबसे अधिक पढ़े लिखे लोग रहते हैं लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी सबसे अधिक डायबीटिक लोग भी यहीं रहते हैं जी हां यह हम नहीं कह रहे पीजीआई के डाक्टर कह रहे हैं। जिनका कहना है कि यह स्थिति काफी चिंताजनक है जिसके कारण चंडीगढ़ को अब डायबीटिज का कैपिटल भी कहा जाने लगा है चंडीगढ़ की करीब 13.6 फीसदी आबादी को डायबीटिज है यानि की शहर से हर 13वें व्यक्ति को डायबीटिज है.
पीजीआई के एंडोक्राइनोलोजी विभाग के हेड डा. अनिल भंसाली ने बताया कि सिटी में डायबीटिज रोग का बढ़ना यह दर्शाता है कि यहां लोगों का लाईफस्टाईल बहुत ज्यादा खराब होता जा रहा है लोग एक्साईज नहीं करते वह किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटिज नहीं करते। जिसके कारण यह रोग बढ़ रहा है.. जिसमें जंक फूड का प्रयोग भी एक कारण है डाक्टरों को मुताबिक चंडीगढ़ में 20 साल से 40 साल के लोगों का लाईफस्टाईल बेहद खराब है ।
हाल ही में पीजीआई में डाक्टरों द्वारा रिसर्च में यह भी सामने आया है शहर में जो लोग डायबिटीज से ग्रस्त है और वह इंसुलिन लगाते हैं उनमें से कई लोगों का इंसुलिन भी नहीं लगानी आती। जिसके कारण उनके पेट में जहां इंसुलिन लगता है वहां फैटलम हो जाता है।
और दूसरी रिसर्च में डाक्टरों द्वारा यह बात सामने रखी गई है कि कोई भी डायबीटिज से ग्रसत व्यक्ति जब तीन महीने में HB1AC का टेस्ट करवाता है तो उसकी डायबीटिज 7 प्रतिशत से कम होनी चाहिए ताकि उसके सैल नोर्मल फंक्शन कर सकें।
डा. रीमा ने यह बात भी साफ की बाहर कई शर्तिया इलाज करने वाले आयुर्वैदिक डाक्टर यह दावा करते हैं कि इस दवाई से उनकी इंसुलिन बंद हो जाएगी। ऐसा सरासर गलत है ऐसा कभी नहीं होता और न ही लोग उनके झांसे में आए।
पूरे देश में डायबीटिज की बात करें तो हाल ही में 15 राज्यों में इस बीमारी को लेकर सर्वे किया गया था जिसमें पहले नंबर पर तमिलनाडू, दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र और तीसरे नंबर पर पंजाब है।
बुधवार को वर्लड डायबीटिज डे है जिसके अवसर पीजीआई में लोगों को अवेयर करने के लिए मैराथन का आयोजन किया जा रहा है साथ ही लोगों को इस बीमारी से बचाव के भी तरीके बताए जाएँगें।
गौरतलब है कि जिस तरह से हर बीमारी सिटी में अपने पैर बसार रही है उससे बचने का एक ही उपाय है जागरूकता…जितनी इस बीमारी के बारे में जागरूकता होगी उतना ही लोग इस बीमारी के चपेट में आने से बचेंगें।