चण्डीगढ,13 दिसम्बर:-सरकार की कर्मचारी व जन विरोधी फैसलों व 365 चालकों को नौकरी से निकालने के विरोध में हरियाणा रोङवेज तालमेल कमेटी के आह्वान पर प्रदेश के सभी डिपुओ में 24घंटे की भूख की जा रही है। यह जानकारी तालमेल कमेटी के वरिष्ठ सदस्य बलवान सिंह दोदवा ने ब्यान जारी करते हुए दी।
दोदवा ने बताया कि परिवहन के उच्च अधिकारियों द्वारा एक द्वैष भावना के तहत वर्ष 2016 में लगे चालकों को नौकरी से निकालने के तुगलकी फरमान जारी करके 365 परिवारों के मुंह से निवाला छीनने का काम रहे हैं,जिसको रोङवेज कर्मचारी किसी भी सुरत में बर्दाश्त नहीं कर सकते। इन कर्मचारी विरोधी फैसलों के खिलाफ हरियाणा रोङवेज तालमेल कमेटी के आह्वान पर चण्डीगढ डिपो में 21 कर्मचारियों को भूख हड़ताल पर बैठाया गया है जिसमें महेन्द्र मोहाली,राजबीर दलाल,चन्द्रभान सोलंकी,बलबीर जाखङ,प्रदीप बुरा,शमशेर सिंह,धन सिंह,वीरेन्द्र,सतीश कुमार,दिनेश कुमार,रामकुमार,कृष्ण कुमार,विजय हुड्डा,सतीश,विनोद,हरनेक सिंह,राकेश दलाल,राजेश कुमार,जयदीप,प्रताप सिंह,गुरचरण सिंह व कृष्ण लाल आदि नेता शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सरकार किलोमीटर स्कीम के नाम पर अपने निजी चहेते बड़े ट्रासपोर्टरो को सीधा लाभ पहुंचाने के लिए 31से 37रूपये तक के भारी भरकम रेट तय कर दिये जबकि पङोसी राज्य राजस्थान,
हिमाचल,यु.पी.उत्तराखंड में 20 से 22 रूपये प्रति किलोमीटर के रेट में बसें हायर की जा रही हैं जो कि एक बङा घोटाला है। हरियाणा रोङवेज की प्रतिदिन की औसतन आय 24 से 25 रूपये प्रति किलोमीटर है लेकिन किलोमीटर स्कीम के औसतन रेट 36.16 रूपये तय हैं। इसलिए तय किये गये रेटों से परिवहन विभाग को मुनाफे की बजाय भारी घाटा होगा। इसलिए सरकार को इस स्कीम पर पुनर्विचार करना चाहिए ताकि इस घाटे को रोका जा सके।
दोदवा ने बताया कि आज प्रदेश में बेरोजगारी चरम सीमा पर है तथा पढे लिखे नवयुवक डिप्लोमे व डिग्रीयां लेकर रोजगार की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाते फिर रहे हैं। सरकार का काम बेरोजगारो को रोजगार देने का होता है लेकिन यह सरकार इसके विपरीत जाकर रोजगार छीनने का काम कर रही है। सरकार 365 चालकों को नौकरी से निकाल कर उनके परिवारों को भूखा मरने पर मजबूर कर रही है। जिसको किसी भी सुरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। तालमेल कमेटी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने कर्मचारी व जन विरोधी फैसलों पर तुरन्त रोक नहीं लगाई तो एक बार फिर से रोङवेज कर्मचारी बङा आन्दोलन करने पर मजबूर होंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार व परिवहन के उच्च अधिकारियों की होगी।