शहर में पुलिस हमेशा से ही किसी न किसी कारण सुर्खियों में रही है। इस बार भी सिटी थाने के अंतर्गत आने वाली बस स्टैंड चौकी का मामला सामने आया है। इस बार पुलिसकर्मी कानूनी प्रक्रिया को ही भूल बैठे और भीड़ की तरह ही व्यवहार कर दिया। मॉब लीचिंग से बचाने का काम जिन्ाके जिम्मे था उन्हीं पुलिस वालों ने एक नाबालिग को बुरी तरह से पीटा।
नाबालिग पुलिस से खुद को छोडऩे की गुहार लगाता रहा। नाबालिग को पीटते हुए लोगों ने वीडियो बनाया और उसको वायरल कर दिया। लोगों ने चोरी करते हुए पकड़ कर पुलिस के हवाले किया था। यह चोरी का पूरा वाकया लोकल बस अड्डे पर घिराय जाने वाली बस में हुआ था। इस मामले में कोई भी शिकायत दर्ज नहीं हुई है।
लोकल बस अड्डे से शुक्रवार को दोपहर करीब एक बजे घिराय जाने वाली बस तैयार खड़ी थी। उसमें एक बुजुर्ग जब चढ़ रहा था तो युवक ने उसकी जेब से 200 रुपये निकाल लिए। मगर लोगों ने उसी समय उसे पकड़ लिया। नाबालिग की लोगों ने भी पिटाई की और बाद में बस अड्डा चौकी के हवाले कर दिया।
पुलिस ने युवक को चौकी में लेकर पाइप से बुरी तरह पीटा। यह माजरा देख आस पास खड़े लोगों ने उसी समय वीडियो बना लिया और उसे वायरल कर दिया। इस मामले में पीडि़त किसी व्यक्ति ने पुलिस को लिखित शिकायत नहीं दी। वहीं पुलिस अधीक्षक शिवचरण ने कहा कि मेरी संज्ञान में मामला नहीं है। इस बारे में पता किया जा रहा है।
लोकल बस अड्डे पर लगातार चोरी की घटनाएं हो रही हैं। गांव जाने वाले लोगों की जेब से पैसा चोरी हो रहा है। इसकी सूचना पुलिस को भी काफी बार दी गई है। शुक्रवार को जब नाबालिग पकड़ा गया था एक युवक उसी समय वहां आया और उसने दो दिन पहले ही उसकी जेब से छह हजार रुपये चोरी होने की बात कही। वहीं घिराय जाने वाली इस बस के मुसाफिर लगातार हो रही चोरी से परेशान दिखे।
वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि पुलिस को नाबालिग के लोगों द्वारा पकड़वाए जाने के बाद सीडब्ल्यूसी को इसकी सूचना देनी चाहिए थी या फिर एफआइआर दर्ज करनी चाहिए थी। पुलिस कर्मचारी को नाबालिग को पीटने का हक नहीं है। यदि वह ऐसा करता है तो यह कानून जुर्म है। यदि कोई अपराध करता है तो उसको किसी को पीटने का अधिकार नहीं है।