महिला कुश्ती का नाम सुनते ही आपके जहन में दंगल फिल्म का नाम जरूर आता होगा, बेटियां बाल संवारने में न लगी रहें और बाल मिट्टी में खराब न हों, इसलिए महाबीर फौगाट ने अपनी बेटी गीता और बबीता के बाल कटवा दिए थे. हरियाणा के हांसी के गांव उमरा में भी महिला कुश्ती पहलवानों ने अपने सिर के बाल पूरी तरह से ही मुंडवा लिए हैं.
इसके लिए इन पहलवानों पर न ही किसी ने दबाव बनाया और न ही इन पहलवानों के बापू हानिकारक हैं. आप सोच रहें होंगे कि फिर वजह क्या रही, वजह है खेल के प्रति इनका जुनून. जी हां इन महिला पहलवानों ने बताया कि खेलते समय राउंड के बीच में 30 सेकेंड का समय मिलता है.
महिला रेसलरों ने बताया कि बाल बड़े हों तो उन्हें ठीक करने में ही 30 सेकंड निकल जाते हैं और कोच की ट्रिक से ध्यान भटक जाता है. बालों के कारण ऐसा न हो इसलिए हम सभी ने सिर के बाल मुंडवाने का फैसला लिया.
उनका मानना है कि 3-3 मिनट के मुकाबले में मिलने वाले 30 सेकंड के रेस्ट में वे बालों को सुलझाने में ही लगी रहती थीं. इतने कम वक्त में उन्हें कूल और रिफ्रेश होने का वक्त नहीं मिल पाता था. मैच के दौरान भी चोटी और बड़े बाल बाधा बनते थे. महिला खिलाड़ियों की इस तकनीकी सोच के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं.
कोच संजय ने बताया कि गांव के गुरु हवासिंह अखाड़े में फिलहाल 30 लड़कियां कुश्ती का अभ्यास कर रही हैं. इनमें से ज्यादातर ने सिर मुंडवा रखे हैं, जो बच गई हैं उनके बाल भी छोटे ही हैं. गांव की चार बेटियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं. रेसलर मंजू ने 2016 में सीनियर कॉमनवेल्थ सिंगापुर में 58 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड और प्रो रेसलिंग में भी मेडल जीता था. वहीं, मोनिया 2018 में दक्षिण अफ्रीका में कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीत चुकी है। 100 से ज्यादा बच्चों ने नेशनल लेवल पर मेडल जीते हैं. अखाड़ा प्रमुख हवासिंह, कोच संजय , विक्रम और कर्मवीर उन्हें कुश्ती के दाव सिखाते हैं.