फसल अवशेष जलाने के विषय रोकथाम और समाधान” पर सेमिनार

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चंडीगढ़ में अपने परिसर में इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया), पंजाब और चंडीगढ़ राज्य केंद्र द्वारा ” स्टबल बर्निंग रोकथाम और समाधान ” पर वन डे सेमिनार आयोजित किया गया था, जिसमें सभी संबंधित लोगों ने व्यापक रूप से भाग लिया था।

समारोह के उद्घाटन सत्र डॉ एसके पटनायक आईएएस, सचिव, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, सरकार। मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया । श्रीमान। विश्वजीत खन्ना आईएएस, अतिरिक्त मुख्य सचिव, विभाग। कृषि, पंजाब, डॉ अश्विनी कुमार, सरकार के संयुक्त सचिव। भारत, विभाग। कृषि और किसान कल्याण और श्री कहान सिंह पन्नू आईएएस, सचिव, कृषि, पंजाब और अध्यक्ष पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने “अतिथि सम्मान” के रूप में भाग लिया। श्री। J.P.S. बिंद्रा, महाप्रबंधक, नाबार्ड, पंजाब क्षेत्रीय कार्यालय, चंडीगढ़ ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।

इंस्टिट्यूट ऑफ इंजिनीरिंग पंजाब चंडीगढ़ राज्य केंद्र के अध्यक्ष जे आर गर्ग ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। न्यूटन के। डैश चेयरमैन, कृषि डिवीजन बोर्ड आईईआई ने विषय के थीम पर अपने विचार रखे। संगोष्ठी के अध्यक्ष इंजीनियर पीएस भोगल ने धन्यवाद का वोट प्रस्तुत किया और बाद में इस संगोष्ठी का नतीजा प्रस्तुत किया। संगोष्ठी के अंत में वैदिक सत्र की अध्यक्षता मुख्य अतिथि के रूप में एचसीएस बेरी के पूर्व राष्ट्रपति आईईआई। उद्घाटन / तकनीकी सत्र -1 के प्रमुख वक्ताओं श्री इंद्र मनी मिश्रा, हेड, कृषि इंजीनियरिंग, आईसीएआर-आईएआरआई नई दिल्ली और डॉ। जसकरन सिंह महल, निदेशक, पीएयू लुधियाना ने प्रस्तुत किया इस मुद्दे के लिए चुनौतियों और समाधानों से जुड़े स्टबल जलने के विभिन्न मुद्दों।

एस के पटनायक आई ै एस सेक्रेटरी एग्रीकल्चर / फार्मर वेलफेयर ने फसल अवशेष के लिए जमीन में दबाने की योजना के बारे में बताया व् इस पर किसानों को उपलब्ध सब्सिडी की जानकारी भी दी

इस समस्या के कई हल हैं – इनमें से निन्मलिखित तीन हल आज के सेमिनार का निष्कर्ष हैं

१ पैडी स्ट्रॉ को खेत में काटकर खेत की मिटटी में ही काट कर हल द्वारा वहीँ विछा दिया जाये

इसके लिए मशीनरी का उपयोग जरुरी है , इस मशीनरी को पहले से पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा पहले से किसानों को दिखला व् डेमोंस्ट्रेटे किया जा रहा है
लेकिन यह मशीनरी महंगी होने के कारण भारत व् पंजाब सरकार द्वारा अधिक से अधिक सब्सिडी दी जाएगी और इसके लिए करोड़ों की राशि पहली ही सैंक्शन की जा चुकी है , अब जरुरत है की जिला स्तर पर किसानों को जागरूक करने की जरुरत है