हरियाणा सरकार द्वारा बार-बार डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह को दी जा रही पेरोल व फरलो को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।डेरा प्रमुख के वकील जितेंद्र खुराना के अनुसार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पेरोल व फरलो दिए जाने पर रोक की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने एसजीपीसी (SGPC) की याचिका खारिज करते हुए माना कि हरियाणा सरकार द्वारा डेरा प्रमुख को दी जा रही पेरोल व फरलो नियमों के अनुसार है। इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से भी एसजीपीसी को राहत नहीं मिली थी।
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नियमों के अनुसार पेरोल व फरलो पर विचार करने का आदेश देते हुए एसजीपीसी की याचिका का निपटारा कर दिया था। इससे पहले हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दायर कर कहा था कि डेरा प्रमुख सीधे तौर पर हत्यारोपी नहीं है और वास्तविक हत्याओं को अंजाम नहीं दिया था।
राज्य सरकार का मानना है कि डेरा प्रमुख को इन हत्याओं के सह-अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश रचने के लिए ही दोषी ठहराया गया था। रिकॉर्ड के अनुसार डेरा प्रमुख को रिहा करने की प्रक्रिया महाधिवक्ता (एजी) की कानूनी राय लेने के बाद शुरू की गई थी।
एजी ने कहा था कि डेरा प्रमुख को हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (अस्थायी रिहाई) अधिनियम के तहत ‘हार्ड कोर क्रिमिनल’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। एजी के अनुसार, डेरा प्रमुख राम रहीम (Ram Rahim) को इन हत्याओं के लिए अपने सह-अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश रचने के लिए ही दोषी ठहराया गया है, वास्तविक हत्याओं के लिए नहीं।
हाईकोर्ट में सौंपी गई अपनी विस्तृत रिपोर्ट में, राज्य सरकार ने यह भी दावा किया था है कि अगर यह भी मान लिया जाए कि वह एक कट्टर अपराधी है, फिर भी उसे फरलो पर रिहा होने का अधिकार है क्योंकि उसने जेल में पांच साल से पूरे कर लिए हैं।
एसजीपीसी द्वारा दायर याचिका में डेरा प्रमुख को पेरोल देने में वैधानिक नियमों के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं व पेरोल देने के आदेश को हरियाणा सदाचार कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 की धारा 11 के प्रविधानों के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की है।
याचिका में पेरोल की अवधि के दौरान गुरमीत सिंह के गैरकानूनी बयानों और गतिविधियों से निकलने वाले खतरनाक परिणामों के बारे में याचिका के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराया गया है। एसजीपीसी ने याचिका में कहा कि यह पेरोल भारत की संप्रभुता व अखंडता को खतरे में डालने और देश में सार्वजनिक सद्भाव, शांति और सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए खतरा है।