अमृतसर के दर्दनाक ट्रेन हादसे के लिए प्रबंधकों और मेहमानों को जिम्मेदार ठहराने की माँग को आज पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने ठुकरा दिया। उच्च न्यायालय ने मेहमान नवजोत कौर सिद्धू और प्रबंधक मिट्ठू मैदान को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराने और इन पर मामला चलाने से संबंधित अधिवक्ता शशांक द्वारा दायर की गयी जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।
सुनवाई दौरान मुख्य न्यायाधीश कृष्ण मुरारी ने टिप्पणी की कि यह जनहित याचिका नहीं राजनीति से प्रेरित याचिका है। वकील ने तर्क दिया था कि हादसे के लिए श्रीमती नवजोत कौर सिद्धू भी बराबर की जिम्मेदार हैं। उच्च न्यायालय ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि यदि नवजोत कौर सिद्धू दशहरा समागम पर मुख्य मेहमान के तौर पर गर्इ थी तो वह हादसे के लिए जिम्मेदार कैसे हुईं। उच्च न्यायालय ने याचिका दायर करने वाले वकील को डांटते हुए कहा कि यदि वह याचिका वापस नहीं लेगा तो उसे भारी कीमत चुकानी पर सकती है।
उल्लेखनीय है कि 19 अक्तूबर को अमृतसर में जोड़ा फाटक के नजदीक पटरी पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे 61 लोग ट्रेन की चपेट में आकर मारे गए थे और लगभग 58 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हादसे के पश्चात शिरोमणि अकाली दल ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के खिलाफ बड़ी मुहिम छेड़ी हुई थी, जिसको अब उच्च न्यायालय की कार्रवाई से बड़ा झटका लगा है।