पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली और कच्चे कर्मचारियों को पक्का कराने सहित दूसरी मांगों को लेकर कर्मचारी संगठनों ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब के कर्मचारी संगठनों ने 8 और 9 जनवरी की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की रणनीति को सिरे चढ़ाते हुए 20 दिसंबर को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन की घोषणा कर दी। इसके अलावा सरकार को हड़ताल का नोटिस थमाने का निर्णय लिया गया।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी फेडरेशन के राष्ट्रीय प्रधान सुभाष लांबा ने कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा कि हड़ताल को सफल बनाने के लिए सभी राज्यों में कर्मचारी संगठनों व ट्रेड यूनियनों के संयुक्त सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।
यूटी इंप्लाइज एंड वर्कर फेडरेशन के अध्यक्ष रघुबीर चंद्र की अध्यक्षता में हुए सम्मेलन में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की उपाध्यक्ष सविता मलिक, पंजाब सबोर्डिनेट सर्विसेज फेडरेशन के अध्यक्ष रवींद्र लूथरा व महासचिव सुखदेव सैनी, यूटी इंप्लाइज एंड वर्कर फेडरेशन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी, सीटू के अध्यक्ष कुलदीप सिंह, श्रवण जांगड़ा व टीका राम शर्मा मौजूद थे।
सुभाष लांबा ने कहा कि कहा कि केंद्र व राज्य सरकारें कर्मचारियों की मांगों को मानने के बजाय उनकी एकता को तोड़ने के प्रयास में लगी हैं। उन्होंने एनपीएस में संशोधन कर सरकार के शेयर को 10 से 14 फीसद करने को नकारते हुए कहा कि पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल होने तक आंदोलन जारी रहेगा।
उन्होंने सवाल दागा कि पूरे देश में एक टैक्स की सिफारिश करने वाली सरकार एक समान पेंशन पर चुप क्यों है। वक्ताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद अनुबंधित कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन नहीं दिया जा रहा है। जन सेवा के विभागों में निजीकरण की नीतियों को लागू कर नियमित भर्तियों पर पाबंदी लगाई जा रही है।