सिर्फ एक दिन चलेगा हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र, विधायक नहीं पूछ सकेंगे सवाल

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हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र बेहद छोटा मगर हंगामेदार होगा। सरकार इस सत्र को सिर्फ एक दिन के लिए बुलाना चाहती है, लेकिन विपक्षी दलों का दबाव बढ़ा तो इसे दो दिन का कर दिया जाएगा। विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में सत्र की अवधि तय होगी। विधानसभा सचिवालय शीतकालीन सत्र एक दिन का होने के सरकार के संकेत के हिसाब से अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगा है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली कैबिनेट की बैठक में शीतकालीन सत्र 28 दिसंबर को बुलाने का निर्णय हुआ है। विधानसभा सचिवालय के मुताबिक सत्र सुबह 11 बजे शुरू होगा। 29 व 30 दिसंबर को शनिवार और रविवार का अवकाश रहेगा। भाजपा सरकार ने शीतकालीन सत्र की परंपरा आरंभ की। पहले सिर्फ मानसून सत्र बुलाया जाता था। राज्य सरकार ने विधानसभा सचिवालय को सिर्फ 28 दिसंबर को एक दिन का शीतकालीन सत्र बुलाने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला और कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में सत्र 31 दिसंबर को भी चलाने की मांग उठा सकते हैं।

शीतकालीन सत्र में इस बार विधायक अपने हलकों की समस्याओं से जुड़े सवाल नहीं पूछ सकेंगे। किसी विधायक से विधानसभा सचिवालय ने इस बार कोई सवाल नहीं मांगा है। राज्य सरकार के वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान (रिवाइज एस्टीमेट) शीतकालीन सत्र में पास किए जाएंगे। अभी तक किसी नए बिल का भी प्रस्ताव विधानसभा सचिवालय को नहीं मिला है, लेकिन राज्य सरकार की तैयारी करीब आधा दर्जन बिल पास कराने की है। सभी विभागाध्यक्षों और मुख्यमंत्री कार्यालय को इस संबंध में काम करने के निर्देश दिए गए हैं।

शीतकालीन सत्र में जबरदस्त हंगामा होगा। कांग्रेस और इनेलो जहां किसानों के कर्ज माफ करने का मुद्दा उठााएंगे, वहीं भाजपा की ओर से पांच नगर निगमों में हुई शानदार जीत का जश्न मनाते हुए इनेलो व कांग्रेस को चुनौती दी जा सकती है। प्रदेश के किसानों को अभी तक प्राकृतिक आपदा का मुआवजा नहीं मिलने का मुद्दा भी विधानसभा में उठ सकता है। विधायकों व पूर्व विधायकों के भत्तों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव संभव है। अवैध कालोनियों को नियमित करने के लिए बिल में संशोधन लाया जा सकता है। सरकारी भर्ती में हो रही देरी पर विपक्ष की ओर से सरकार की घेराबंदी की जा सकती है।

विधानसभा में तीन इनेलो विधायकों नैना चौटाला, अनूप धानक और राजदीप फौगाट पर सभी की निगाह टिकी होगी। यह तीनों फिलहाल इनेलो विधायक हैं, लेकिन अभय सिंह चौटाला से अलग होकर उन्होंने दुष्यंत चौटाला का दामन थाम लिया है। अभी तक न तो इन तीनों विधायकों को इनेलो से निकाला गया है और न ही उन्होंने अपने पदों से इस्तीफे देकर जननायक जनता पार्टी में शामिल होने की घोषणा की है। इसलिए इन तीनों विधायकों को अभय सिंह चौटाला के नेतृत्व वाली बेंचों पर ही बैठना होगा, लेकिन इसके बावजूद विधानसभा में उनका व्यवहार किस तरह का होगा, यह देखने वाली बात होगी।