मार्च 26, 1977-जुलाई 9, 1977: शेख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाया था. कांग्रेस ने गठबंधन का साथ छोड़ दिया तो नेशनस कॉन्फ्रेंस अल्पमत में आ गई, जिसके चलते राज्य में 105 दिनों तक राज्यपाल शासन रहा.
मार्च 6, 1986-नवंबर 7, 1986: बहुमत न होने के चलते 246 दिनों के लिए राज्यपाल शासन रहा.
जनवरी 19, 1990-अक्टूबर 9, 1996: उग्रवाद और कानून व्यवस्था ध्वस्त होने के चलते छह सालों और 264 दिनों के लिए राज्यपाल शासन.
अक्टूबर 18, 2002-नवंबर 2, 2002: राज्य के चुनावों के कोई नतीजे न निकलने पर 15 दिनों तक राज्यपाल शासन.
जुलाई 11, 2008-जनवरी 5, 2009: तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने अमरनाथ यात्रा के लिए जमीन का स्थानांतरण किया था, जिसके चलते पीडीपी ने गठबंधन से हाथ खींच लिए थे. तब राज्य में 178 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लागू रहा.
जनवरी 9, 2015-मार्च 1, 2015: विधानसभा चुनावों में अस्पष्ट बहुमत आने पर राज्य में 51 दिनों तक राज्यपाल शासन रहा, जो बीजेपी-पीडीपी के गठबंधन के समझौते पर पहुंचने के बाद खत्म हुआ.
जनवरी 8, 2016-अप्रैल 4, 2016: तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद राज्य में 87 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लागू रहा.