सरकारी इंश्योरेंस कर्मचारियों का सौ फीसदी FDI के खिलाफ विरोध

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सरकारी इंश्योरेंस कर्मचारियों ने इंश्योरेंस सेक्टर के निजीकरण का कड़ा विरोध किया है, इसे वित्तीय अस्थिरता, संगठनात्मक अक्षमता और लंबे समय से चल रहे प्रबंधन की समस्या से जोड़ते हुए गहन चिंता जताई है। जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एसोसिएशन (जीआईईएआईए) के बैनर तले श्रेणी 1, 3 और 4 के कर्मचारी सेक्टर 17 स्थित यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के रीजनल ऑफिस में जुटे और अपनी आगे की रणनीति पर चर्चा की। उन्होंने सरकार के एफडीआई (विदेशी निवेश) बढ़ाने वाले बिल को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की। उन्होनें चेतावनी दी कि इस पॉलिसी से सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

जीआईईएआईए के जनरल सेक्रेटरी त्रिलोक सिंह ने मीडिया से बात करते हुए इंश्योरेंस सेक्टर में 100 फ़ीसदी एफडीआई की अनुमति देने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में एफडीआई लिमिट बढ़ाने से इंश्योरेंस पेनिट्रेशन में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ, बल्कि इसका फायदा विदेशी निवेशकों द्वारा मुनाफा निकालने में ही हुआ। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां खासतौर पर ग्रामीण और सेमी-अर्बन एरिया में इंश्योरेंस सेवाएं मुहैया कराती हैं, जहां प्राइवेट कंपनियां कम रुचि दिखाती हैं। उन्होंने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि वर्तमान 74% एफडीआई कैप में से सिर्फ 32.67फ़ीसदी ही उपयोग हुआ है, जो इस बात का सबूत है कि इस तरह की पूंजी की अधिक मांग नहीं है। अगर एफडीआई लिमिट बढ़ाई गई तो यह सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों को कमजोर कर देगी और हजारों नौकरियों को खतरे में डाल देगी।

एसोसिएशन ने चारों सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों— नेशनल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस— को एक सशक्त कंपनी में मर्ज (विलय)करने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे भीतरी प्रतिस्पर्धा घटेगी, मार्केट पेनिट्रेशन बढ़ेगा और ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार होगा, जिससे भारत सरकार का ‘इंश्योरेंस फॉर ऑल’ का उद्देश्य पूरा होगा। एसोसिएशन का मानना है कि निजीकरण पर जोर देने के बजाय सरकार को इन कंपनियों को मजबूत करने के लिए ठोस नीतियां बनानी चाहिए।

वेतन संशोधन (वेज रिवीजन) की मांग भी कर्मचारियों द्वारा प्रमुख रूप से उठाई गई। त्रिलोक सिंह ने कहा कि महंगाई और बढ़ती लागतों के बावजूद, इंश्योरेंस कर्मचारियों को वेतन वृद्धि नहीं मिली। एसोसिएशन ने यह भी बताया कि जनरल इंश्योरर पब्लिक सेक्टर एसोसिएशन, वित्तीय सेवा विभाग और यहां तक कि वित्त मंत्री से हुई बार-बार की बातचीत से भी कोई समाधान नहीं निकला।